Aarti Sangrah from Poojapaath

Aarti Sangrah from Poojapaath

Pooja PaathJul 2, '25

AARTI

श्री गणेश आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
अँधे को आँख देत कोढ़िन को काया

बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया
सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 

श्री लक्ष्मी माता की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु धाता ||
ॐ जय लक्ष्मी माता ||

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता |
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ||
ॐ जय लक्ष्मी माता ||

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख-सम्पत्ति दाता |
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ||
ॐ जय लक्ष्मी माता ||

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभ दाता |
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ||
ॐ जय लक्ष्मी माता ||

जिस घर में तुम रहतीं, तहाँ सब सद्गुण आता |
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ||
ॐ जय लक्ष्मी माता ||

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता |
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ||
ॐ जय लक्ष्मी माता ||

शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता |
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ||
ॐ जय लक्ष्मी माता ||

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता |
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ||
ॐ जय लक्ष्मी माता ||

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु धाता ||
ॐ जय लक्ष्मी माता ||

श्री कुबेर आरती

ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
हे समरथ परिपूरन, हे समरथ परिपूरन, हे अंतरयामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |

ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
हे समरथ परिपूरन, हे समरथ परिपूरन, हे अंतरयामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |

विश्रवा के लाल इदविदा के प्यारे, माँ इदविदा के प्यारे |
कावेरी के नाथ हो, कावेरी के नाथ हो, शिवजी के दुलारे |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |

मणिग्रावी मीनाक्षी देवी, नलकुबेर के तात, प्रभु नलकुबेर के तात |
देवलोक में जागृत, देवलोक में जागृत, आप ही हो साक्षात |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |

रेवा नर्मदा तट शोभा अतिभारी, प्रभु शोभा अतिभारी |
करनाली में विराजत, करनाली में विराजत, भोले भंडारी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |

वंध्या पुत्र रतन और निर्धन धन पाये, सब निर्धन धन पाये |
मनवांछित फल देते, मनवांछित फल देते, जो मन से ध्याये |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |

सकल जगत में तुम ही, सब के सुखदाता, प्रभु सब के सुखदाता |
दास जयंत कर वंदे, दास जयंत कर वंदे, जाये बलिहारी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |

ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |
हे समरथ परिपूरन, हे समरथ परिपूरन, हे अंतरयामी |
ॐ जय कुबेर स्वामी, प्रभु जय कुबेर स्वामी |

। इति श्री कुबेर आरती सम्पूर्णम।

 

मां दुर्गा जी की आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गावें भारती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।

तेरे भक्त जनो पे माता भीर पड़ी है भारी ।
माता भीर पड़ी है भारी ।
दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी ।
माँ करके सिंह सवारी ।

सौ-सौ सिहों से भी बलशाली, अष्ट भुजाओं वाली ।
दुखियों के दुखड़े निवारती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गावें भारती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।

माँ-बेटे का है इस जग मे बड़ा ही निर्मल नाता ।
माँ बड़ा ही निर्मल नाता ।
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता ।
ना माता सुनी कुमाता ।

सब पे करूणा दरसाने वाली अमृत बरसाने वाली ।
दुखियों के दुखडे निवारती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गावें भारती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।

नहीं मांगते धन और दौलत न चांदी न सोना ।
न चांदी न सोना ।
हम तो मांगें माँ तेरे चरणों में एक छोटा सा कोना ।
एक छोटा सा कोना ।

सबकी बिगड़ी बनाने वाली लाज बचाने वाली ।
सतियों के सत को सवांरती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।

अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गावें भारती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।

 

|| सरस्वती माता की आरती ||

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता,
सदगुण वैभवशालिनि, त्रिभुवन विख्याता ||
जय जय सरस्वती माता,
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ||

चंद्रवदन पदमासिनी कृति मंगलकारी,
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेज धारी ||
जय जय सरस्वती माता,
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ||

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला,
शीश मुकुटमणि सोहे, गल मोतियन माला ||
जय जय सरस्वती माता,
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ||

देवि शरण जो आए, उनका उद्धार किया, 
बैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ||
जय जय सरस्वती माता,
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ||

विद्यादान प्रदायिनि ज्ञान-प्रकाश भरो,
मोह, अज्ञान की निरखा, जग से नाश करो ||
जय जय सरस्वती माता,
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ||

धूप, दीप, फल, मेवा, ओ मां स्वीकार करो,
ज्ञान-चक्षु दे माता, जग निस्तार करो ||
जय जय सरस्वती माता
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ||

मां सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावै,
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावै ||
जय जय सरस्वती माता,
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ||

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता,
सदगुण वैभवशालिनि, त्रिभुवन विख्याता ||
जय जय सरस्वती माता,
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ||

 

“आरती कुंज बिहारी की” श्री कृष्णा जी की आरती

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

गले में बैजंतीमाला, बजावै मुरली मधुर बाला,
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला,
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली,
लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चंद्र – सी झलक, ललित छवि स्यामा प्यारी की ||
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

कनकमय मोर- मुकुट बिलसै, देवता दरसनको तरसैं,
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग,  
ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की ||
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल- मल- हारिणि श्रीगंगा,
स्मरन ते होत मोह- भंगा, बसी सिव सीस, जटाके बीच,
हरै अघ कीच, चरन छबि श्री बनवारी की ||
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही बृन्दाबन बेनू,
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू, हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव-फंद, टेर सुनु दीन दुखारी की ||  
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

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